कोरोना महामारी के दौरान लाखों लोग शहर छोड़ कर अपने गांव वापस आ गए. केरल के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, कुंबला में पढ़ाने वाली सीमा रथीश भी लॉकडाउन में अपने घर मेंगोथ चली गईं. हालांकि इस दौरान वह खाली नहीं रही. उन्होंने तरबूज की खेती की और खूब मुनाफा कमाया.
सीमा के पिता माधवन नायर के पास 15 एकड़ जमीन है. हालांकि जब सीमा ने खेती करने के बारे में सोचा तो उनके भाई ने उन्हें बताया कि खेती में अब पहले जैसा मुनाफा नहीं रहा और उपज भी कम हो गई है. इसी वजह से सीमा ने कृषि पद्धतियों को बदलने का फैसला किया. उन्होंने अपने एक मित्र दोस्त, जो जैविक किसान हैं से इस बारे में मदद ली.
सीमा के दोस्त नशीद ने उन्हें बताया कि मेंगोथ में पाई जाने वाली मिट्टी में तरबूज की शुगर क्वीन किस्म की खेती करना बेहतर रहेगा. सीमा ने तरबूज उगाने के लिए सटीक खेती पद्धति का इस्तेमाल किया. नवंबर के पहले कुछ हफ्तों में उन्होंने खेती के लिए 2.5 एकड़ जमीन साफ की. खरपतवार, पत्थर हटाए और मिट्टी में पोषण मिलाया. वह हर रोज पौधों की जांच के लिए सुबह खेत पर जाती थीं.
1 महीने के अंदर ही पौधे बड़े हो गए. उन्होंने पौधों के सही विकास के लिए उसमें नशीद द्वारा तैयार किया गया जैविक उर्वरक भी डाला. उनकी फसल बहुत अच्छी हुई. जनवरी 2021 में उन्होंने पहली बार अपने खेत से फल निकाले. पहली बार में ही 3 टन फल निकले, जो 25 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव बिके. उन्होंने अप्रैल में सीजन के अंत तक लगभग 5 टन फल बेच दिए थे और लगभग 2 लाख रुपये कमा लिए.
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