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कुत्ते वफादार जानवर होते हैं. लोग अपने घरों में कुत्ते पालते हैं. लेकिन जो कुत्ते बेसहारा होते हैं, उनका ध्यान रखना इंसानों का फर्ज है. गुजरात के कच्छ के कटरा गांव में यशराज चारण का परिवार ऐसा ही करता आ रहा है. पिछले 25 सालों से यशराज चारण और उनका परिवार हर रोज सुबह-शाम कुत्तों को रोटियां खिलाता है.
चारण परिवार में हर रोज कुत्तों के लिए 250-300 रोटियां बनती है. इसके अलावा गेहूं के आटे का 6 किलो गीला हलवा भी बनता है. परिवार के सभी सदस्य इस काम में अपना हाथ बंटाते हैं. इस काम के लिए उन्होंने एक महिला सहायक को भी रखा हुआ है. 250 से 300 रोटियां बनने में लगभग 25 किलो आटा खर्च होता है.
भूखे कुत्तों के अलावा चारण परिवार अन्य जानवरों को भी खाना खिलाता है जिस पर लगभग 30 से 35 हजार रुपये महीना खर्च हो जाते हैं. दरअसल, एक दिन जब यशराज ऑफिस के बाद वॉक पर जा रहे थे तो उन्होंने देखा कि कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चे अपनी मां के साथ बहुत ही दयनीय स्थिति में थे. यशराज का दिल पसीज गया. अगले दिन वह अपनी पत्नी से तीन-चार रोटियां बनवा कर ले गए और कुत्तों को रोज खिलाने लगे.
धीरे-धीरे कुत्तों की संख्या बढ़ती गई. अब वह हर रोज 250 से 300 रोटियां कुत्तों को खिलाते हैं. इसके अलावा उन्हें आटे का गीला हलवा खिलाते हैं. चारण परिवार ने और छोटे जानवरों के लिए भी इंतजाम कर रखा है. वह हर महीने 5,000 बिस्किट भी जानवरों को खिलाते हैं. बता दे कि यशराज चारण ने 37 साल तक फॉरेस्ट गार्ड और फॉरेस्टर के रूप में वन विभाग की सेवा की. अब उनकी बेटी और बेटा भी वन विभाग में काम कर रहे हैं. यशराज 2017 में अपने पद से रिटायर हुए थे.
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