प्रेरणा किसी भी व्यक्ति से ली जा सकती है. यह जरूरी नहीं कि वह आपसे उम्र में बड़ा हो. ऐसी ही कहानी है ऋषि आनंद की जो झारखंड के दुमका शहर में स्थित कुम्हारपाड़ा के रहने वाले हैं. ऋषि आनंद के छोटे भाई रवि आनंद आईएएस बन चुके थे. अपने छोटे भाई से प्रेरणा लेकर ही ऋषि ने यूपीएससी परीक्षा देने का निर्णय कर लिया.
ऋषि यूपीएससी परीक्षा में 4 बार असफल हुए. लेकिन आखिरकार पांचवीं बार उनको सफलता मिल ही गई. ऋषि ने 12वीं के बाद इंजीनियरिंग पूरी की और उनका प्लेसमेंट एक अच्छी कंपनी में हो गया. नौकरी ज्वाइन करने के बाद ऋषि ने गवर्नमेंट जॉब हासिल कर ली. हालांकि तब तक उनके मन में यूपीएससी परीक्षा देने का विचार नहीं था.
पर जब उनके भाई ने यूपीएससी परीक्षा में 79वीं रैंक हासिल की और आईएएस अधिकारी बन गए तो ऋषि अपने भाई से प्रेरित हो गए. ऋषि ने फिर अपनी जॉब से इस्तीफा दे दिया और तैयारी शुरू कर दी. ऋषि नेअपने भाई के साथ रहते हुए यूपीएससी परीक्षा की तैयारी की. उनके छोटे भाई को परीक्षा में जल्दी पास हो गए थे.
लेकिन ऋषि चार बार असफल हुए. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पांचवें प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 145 वीं रैंक हासिल की. वह अपने परिवार के साथ जमशेदपुर में रह रहे हैं. अपनी कामयाबी का श्रेय ऋषि अपने माता-पिता, दादी और चाचा को देते हैं.
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