जानिए कौन थे रसायनशास्त्री नागार्जुन, जो जानते थे हर धातु को सोने में बदलने की तरकीब

भारत का इतिहास बहुत ही समृद्धशाली रहा है. भारत के ऐतिहासिक पन्नों में कई महापुरुषों की कहानियां मिलती है. आज हम आपको भारत के महान वैज्ञानिक नागार्जुन के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने 11 साल की उम्र में ही रसायन शास्त्र के क्षेत्र में शोध कार्य शुरू कर दिया था. उनके ऊपर कई किताबें भी लिखी जा चुकी है. ऐसा भी कहा जाता है कि नागार्जुन को किसी भी धातु को सोने में बदलने की तरकीब पता थी.

दिल्ली के महरौली में 1600 साल पुराना लौह स्तंभ आज भी मौजूद है जिसमें जंग नहीं लगी है. किंवदंतियों के मुताबिक, नागार्जुन का जन्म गुजरात में स्थित दहाक ग्राम में 10 वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ था. नागार्जुन ने रसायन शास्त्र और धातु विज्ञान पर कई शोध किए, जिस पर उन्होंने रस रत्नाकर और रसेंद्र मंगल नामक जैसी पुस्तकें भी लिखी.

उन्होंने अपनी किताबों में धातुओं को शुद्ध करने की विधियां भी बताईं. इस किताब में यह भी बताया गया कि कैसे धातुओं को सोने में परिवर्तित किया जा सकता है. नागार्जुन राजघराने से ताल्लुक रखते थे. लेकिन वह हमेशा शोध कार्य में ही व्यस्त रहते थे. उन्होंने अमृत की खोज के लिए भी एक लैब बनवाई थी, जहां उनका ज्यादातर समय बीता था. नागार्जुन ने कई ऐसी औषधियों का निर्माण किया, जिससे रोगों को खत्म किया जा सकता था.

कैसे हुई थी नागार्जुन की मृत्यु
नागार्जुन ने अमर होने वाली चीजों की खोज शुरू कर दी. वह इसी कार्य में दिन रात लगे रहते थे, जिस वजह से उनके राज्य में अव्यवस्था फैल गई. उनके बेटे ने उन्हें यह बात बताई और उन्हें राज्य पर ध्यान देने को कहा. लेकिन उन्होंने अपने बेटे को बताया कि वह अमर होने वाली औषधि बना रहे हैं. यह बात सुनकर उनका बेटा खुश हो गया और अपने दोस्तों को यह बात बता दी, जिसके बाद साजिशकर्ताओं ने साजिश करके उनकी हत्या कर दी.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*