जाने केरल के प्रसिद्ध मंदिर के बारे में, जहां चढ़ाया गया दूध सफेद से हो जाता है नीला, जाने इसके पीछे की मान्यता

भारतवर्ष में अनेकों मंदिर उपस्थित हैं हर जगह मंदिर आपको मिल ही जाते हैं। हमारे देश में बड़े से बड़े मंदिर है तो छोटे से छोटे मंदिर भी उपस्थित हैं। ऐसे में कुछ ऐसे मंदिर भी है जी ने बहुत ज्यादा चमत्कारी और लोकप्रिय माना जाता है, इसके पीछे इनसे जुड़ी रहस्यमई कहानियां है, पौराणिक कथा है जो यह बताती है कि यह मंदिर कितना आश्चर्यचकित कर देने वाला है साथ ही साथ कुछ मंदिर ऐसे हैं जो आज के समय में भी चमत्कार दिखाते हैं। आज तक लोगों को इनके रहस्य के बारे में पता नहीं चल पाया है।

इन रहस्यमई मंदिरों से जुड़ी ऐसी कथा प्रचलित है जो आप को आश्चर्यचकित कर देती है ऐसे में सभी देवी देवताओं को मंदिर समर्पित है और सभी देवी देवताओं के अनेकों मंदिर भारत में उपस्थित है। ऐसे में एक मंदिर बैजनाथ शिव मंदिर जो कि झारखंड राज्य में है, इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि इसे खुद विश्वकर्मा जी ने बनाया था। इसी प्रकार की रहस्यमई घटना दक्षिण भारत के एक मंदिर केतू देव को समर्पित है। यह मंदिर बहुत ज्यादा रहस्यमई है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में दूध चढ़ाने से उस दूध का रंग सफेद से नीला हो जाता है। यह सभी को आश्चर्यचकित कर देती है लेकिन यह बात सरासर सत्य है आज तक लोगों को इसके पीछे का कारण पता नहीं चल पाया है लेकिन यह बहुत ज्यादा लोकप्रिय प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है आज शादी कल में हम आपको इन्हीं मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।

केतु मंदिर से जुड़ी अवधारणा
केतु मंदिर केरल के कावेरी नदी के किनारे उपस्थित है किजापेरूमपल्लम गांव में स्थित इस मंदिर को नागनाथ स्वामी या केतु स्थल के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में मुख्य रूप से भगवान शिव की ही पूजा की जाती है हालांकि इसके अलावा राहु केतु की भी प्रतिमा इस मंदिर में उपस्थित है और इनकी पूजा भी की जाती है। इस मंदिर में राहु देव को दूध चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि केतु दोष से पीड़ित लोग जब राहु देव की को दूध चढ़ाते हैं तो वह नीला हो जाता है।

जाने इस मंदिर से जुड़े पौराणिक कथा
केरल का केतु मंदिर सबसे ज्यादा लोकप्रिय और चमत्कारी मंदिर में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि के श्राप से मुक्ति पाने के लिए के तूने इसी मंदिर में शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना शुरू की थी। ऐसा माना जाता है कि शिवरात्रि के दिन केतु को भगवान शिव ने दर्शन दिए थे और इसके बाद केतु को भगवान शिव ने पाप से मुक्त कर दिया था। केतु को सांपों का देवता भी कहा जाता है क्योंकि इसकी शेर इंसान का और धड़ सांप का होता है। ज्योतिष शास्त्र में भी राहु और केतु को छाया ग्रह के रूप में बताया गया है नौ ग्रहों में राहु और केतु को भी रखा गया है। इसके अलावा नौ ग्रहों में बृहस्पति, शनि, शुक्र, चंद्रमा, बुध, मंगल और सूर्य भी शामिल है। इन ग्रहों का अपना अपना अलग स्वभाव है जिसके आधार पर यह अपने जातकों पर अलग-अलग प्रकार के प्रभाव डालते हैं।

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*