प्लास्टिक के कचरे से इन छात्रों ने बनाया बेसहारा जानवरों के लिए घर, हर तरफ हो रही तारीफ

प्लास्टिक का इस्तेमाल बहुत ज्यादा बढ़ गया है. हर रोज प्लास्टिक का कचरा भी खूब निकलता है. लेकिन प्लास्टिक का कचरा बहुत ही ज्यादा हानिकारक होता है. लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता, यह कचरा कहां जाता है, इससे कितना प्रदूषण फैलता है. लेकिन नवी मुंबई के रहने वाले कुछ बच्चों ने प्लास्टिक के कचरे का बहुत ही बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया और समाज के बाकी लोगों के लिए मिसाल कायम की.

18 वर्षीय वसुंधरा गुप्ते ने और उनकी टीम उर्वरी ने प्लास्टिक की बोतलों और अन्य कचरे से इको ब्रिक बनाकर बेसहारा जानवरों के लिए एक छोटा सा शेल्टर बनाया है. वसुंधरा ने अपनी दोस्त खुशी शाह के साथ मिलकर 2019 में उर्वरी संगठन की शुरुआत की थी. जब 2019 में अमेजन के जंगलों में आग लगने की खबर आई तो बहुत दुखी हो गई थी. तभी उन्होंने सोच लिया था कि वह पर्यावरण को बचाने के लिए कुछ करेंगे.

पिछले साल लगे लॉकडाउन की वजह से उनका काम रुक गया था. लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद उन्होंने फिर से अपना काम शुरू कर दिया. पिछले साल जुलाई में मुंबई में बहुत ज्यादा बारिश हुई, जिससे बेसहारा जानवरों को बहुत परेशानियां हुईं. कुत्तों को भी बहुत दिक्कतें हुईं. लोग उन्हें सोसाइटी में भी नहीं आने देते. तभी उन्होंने सोचा कि क्यों ना घरों से निकलने वाले प्लास्टिक के कचरे से कुत्तों के लिए शेल्टर बनाया जा सके.

एक शेल्टर बनाने के लिए उन्हें एक-दो नहीं बल्कि 150 इको ब्रिक्स चाहिए थे. इसके बाद उनकी टीम अलग-अलग सोसाइटी से प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा करने लगी और उनसे इको ब्रिक्स बनाने लगी. 10-11 महीने के बाद वसुंधरा और उनकी टीम ने 45 किलोग्राम कचरे से इको ब्रिक्स बनाए. उन्होंने शेल्टर बनाने में लोहे का फ्रेम बनवाया और इसमें पॉल्यूरेथेन फोम का इस्तेमाल किया, जिससे शेल्टर के अंदर का तापमान संतुलित रहता है.

शेल्टर बनाने में लगभग 7500 रुपए का खर्च आया. शेल्टर को कहां रखा जाए, यह बड़ी समस्या थी. तब वसुंधरा और उनकी टीम ने सेक्टर, 29 के पार्षद शशिकांत राउत से मदद ली. राउत ने इन बच्चों को राजीव गाँधी उद्यान में इस शेल्टर को लगाने की अनुमति दे दी. एक शेल्टर में 3-4 कुत्ते आराम से बैठ सकते हैं. उन्हें किसी भी मौसम में यहां परेशानी नहीं होगी.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*