सौतेली मां ने इस विकलांग बच्ची को कर दिया घर से बाहर, जानिए फिर वह कैसे बनी IAS अधिकारी

आज हम आपको दिल्ली की छोटी सी झुग्गी में रहने वाली उम्मुल खेर के बारे में बता रहे हैं जो विकलांग थी. लेकिन आज वह एक आईएएस अधिकारी हैं. वह आज जिस मुकाम पर हैं, वहां पहुंचना बहुत ही मुश्किल होता है. उम्मुल खेर राजस्थान की रहने वाली हैं. लेकिन पारिवारिक कारणों की वजह से वह दिल्ली के निजामुद्दीन में आकर रहने लगी. उनका बचपन निजामुद्दीन की झुग्गियों में बीता. उनके पिता सड़क किनारे मूंगफली बेचा करते थे. लेकिन 2001 में वह जिन झुग्गियों में रहा करती थी वह गिर गई. इसके बाद उनका परिवार त्रिलोकपुरी इलाके में किराए पर रहने लगा.

जब उम्मुल सातवीं कक्षा में थी तभी उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया था. उन्हें हर महीने 50 से ₹60 मिल जाते थे. उम्मुल विकलांग थी. इस वजह से उनके परिवार वाले उन्हें पढ़ाना नहीं चाहते थे. बचपन से ही उम्मुल को हड्डियों की बीमारी बोन फ्रजाइल डिसीज़ थी. इस बीमारी में हड्डियां बहुत नाजुक होती हैं. अगर कभी शरीर में गिरने की वजह से दबाव या चोट पड़ती है तो हड्डियां सहन नहीं कर पाती.

28 साल की उम्र तक उनके शरीर में 15 फ्रैक्चर और 8 सर्जरी हो चुकी थी. उनकी जिंदगी बहुत ही मुश्किलों से भरी रही है. जब वह स्कूल में पढ़ती थी उसी दौरान उनकी मां का निधन हो गया. उसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली. लेकिन उनकी सौतेली मां उसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करती थी. उनकी पढ़ाई छुड़वाने की भी काफी कोशिश की गई.

जब वह नौवीं कक्षा में पढ़ रही थीं, तब उन्होंने अपने परिवार से दूर त्रिलोकपुरी में एक छोटा सा कमरा किराए पर ले लिया. जहां वह बच्चों को पढ़ाती थी और खुद भी पढ़ाई करती थी. 2014 में उनका जापान के इंटरनेशनल लीडरशिप प्रोग्राम के लिए भी चयन हुआ था. एमफिल पास करने के बाद उन्होंने जीआरएफ क्लियर किया और फिर उनकी आर्थिक समस्या भी खत्म हो गई. उमुल्ल ने यूपीएससी परीक्षा में 420वीं रैंक हासिल की और वह आईएएस अधिकारी बन गई.

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