15 गोलियां खाने के बाद भी लड़ते रहे थे योगेंद्र सिंह यादव, 19 साल की उम्र में मिला परमवीर चक्र

कारगिल युद्ध के दौरान 4 जुलाई 1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के एक प्लाटून को टाइगर हिल पर कब्जा करने का दायित्व सौंपा गया था. प्लाटून का नेतृत्व कर रहे योगेंद्र सिंह यादव ने संघर्ष के दौरान 15 गोलियां खाईं. वह 15 गोलियां खाने के बाद भी लड़ते रहे. उन्हें 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. वह सबसे कम उम्र में यह सम्मान पाने वाले सैनिक हैं. हाल ही में उन्हें Rank of Hony Lieutenant से नवाजा गया.

1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का भी वह हिस्सा रहे. 16 साल की उम्र में ही वह सेना में भर्ती हो गए थे. आर्मी जॉइन करने के कुछ दिन बाद ही कारगिल युद्ध ही छिड़ गया. योगेंद्र सिंह यादव 4 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर कब्जा करने के लिए प्लाटून घातक के साथ आगे बढ़े. इस दौरान उनके सभी सैनिक शहीद हो गए. उनके शरीर में 15 गोलियां लगी थी. लेकिन वह लड़ते रहे.

उन्होंने मौका देखते ही अपनी जेब में रखे ग्रेनेड की पिन हटाई और आगे जा रहे पाकिस्तानी सैनिकों पर फेंक दिया जिससे पाकिस्तानी सैनिकों के चिथड़े उड़ गए. हालांकि वह कुछ समय बाद ही बेहोश हो गए और नाले में जा गिरे. उन्हें भारतीय सैनिकों ने बाहर निकाला और उनकी जान बच गई. उन्हें इस युद्ध के बाद बहादुरी के लिए परमवीर चक्र से नवाजा गया था.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*