
यह कहानी है आईपीएस अधिकारी भोजराम की. आज भले ही वह बड़े अधिकारी हैं. लेकिन उनका बचपन बेहद गरीबी और मुश्किलों में बीता है. भोजराम ने अपनी गरीबी को दूर करने की ठान ली थी और वह जानते थे कि वह शिक्षा के दम पर ही गरीबी से छुटकारा पा सकते हैं.
भोजराम छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में तारापुर गांव के रहने वाले हैंय उनकी जिंदगी में ऐसा भी पल आया जब उनके पास भरपेट खाने के लिए अनाज भी नहीं हुआ करता था. भोजराम ने एक इंटरव्यू में बताया था कि एक समय ऐसा भी था, जब उनकी मां दाल या सब्जी में ज्यादा मिर्च डाल देती थी. क्योंकि घर में अनाज कम था और खाना तीखा होने की वजह से खाया नहीं जाता था.
भोजराम के परिवार के पास 2 बीघा जमीन थी जिस पर परिवार खेती करता था और उसी से गुजारा चलता था. भोजराम ने शुरुआती पढ़ाई प्राइमरी स्कूल से की. उन्होंने अपना खर्चा चलाने के लिए शिक्षक के रूप में बच्चों को भी पढ़ाया और खाली समय में वह खुद पढ़ते थे.
भोजराम की मेहनत और लगन का ही नतीजा है, जो वह एक आईएएस अधिकारी बन चुके हैं. फिलहाल भोजराम छत्तीसगढ़ में सीएसपी के पद पर तैनात है. आज भी भोजराम उस स्कूल में बच्चों को पढ़ाने जाते हैं, जहां वो पहले पढ़ाने जाया करते थे. भोजराम अपनी कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं, जिन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में भी उन्हें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया.
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