निर्भया केस के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे. देश की वह बेटी के साथ कुछ लड़कों ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी. इस घटना के बारे में सोच कर ही रूह कांप जाती है. निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए उनकी मां ने बहुत संघर्ष किए. लेकिन इस संघर्ष में उनके साथ शुरुआत से ही सीमा कुशवाहा जुड़ी रही.
अगर सीमा कुशवाहा ने साथ ना दिया होता तो शायद निर्भया को इंसाफ ना मिल पाता. लोगों ने भी देश भर में मुहिम चलाकर निर्भया को इंसाफ दिलाने में मदद की. निर्भया की मां का किसी ने भी साथ नहीं दिया. लेकिन सीमा कुशवाहा हर समय उनके साथ खड़ी रही.
कोई भी निर्भया का केस नहीं लड़ना चाहता था तभी. सीमा कुशवाहा ने सोचा कि वह वकील हैं और से केस लड़ सकती हैं. तभी उन्होंने निर्भया को इंसाफ दिलाने का निर्णय कर लिया. उन्होंने बिना कोई फीस लिए ही 7 साल तक निर्भया का केस लड़ा और निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए जी जान लगा दी.
हालांकि सीमा कुशवाहा पहले आईएएस बनना चाहती थी. लेकिन वह वकील बन गई. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की. जब 2012 में निर्भया के साथ यह घटना हुई थी, उस समय वह कोर्ट में ट्रेनिंग कर रही थीं. निर्भया का केस सीमा के वकालत करियर का पहला केस था, जिसे उन्होंने कड़े संघर्ष के बाद जीत ही लिया.
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