Success Story: रिक्शा चालक का बेटा पहले ही प्रयास में बना IAS अधिकारी

अगर रिक्शा चालक का बेटा आईएएस अधिकारी बन जाए तो यह बहुत ही बड़ी बात है. आज हम आपको आईएएस गोविंद जायसवाल की कहानी बता रहे हैं, जिन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में काफी मुश्किलों से गुजरना पड़ा. गोविंद ने पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 48वीं रैंक हासिल कर ली. गोविंद का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ. उनकी तीन बड़ी बहने भी हैं.

गोविंद के पिता पूरे परिवार के साथ 12X8 फीट के किराए के कमरे में गुजारा करते थे. उनके पिता कमाई करने वाले एकमात्र सदस्य थे. गोविंद की शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल में हुई, जिसके बाद उन्होंने वाराणसी के सरकारी डिग्री कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. ग्रेजुएशन के बाद गोविंद यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए.

हालांकि उनके पास रहने का खर्चा नहीं था. ऐसे में गोविंद के पिता नारायण जायसवाल ने अपनी जमीन ₹4000 में बेच दी. गोविंद अपने खर्चे को चलाने के लिए ट्यूशन पढ़ाया करते थे और वह अपनी तैयारी भी करते थे. 2006 में गोविंद ने यूपीएससी परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में सफल हो गए और आईएएस अधिकारी बन गए.

1995 में गोविंद के पिता नारायण के पास 35 रिक्शे थे. लेकिन उनकी पत्नी के इलाज में काफी खर्चा हुआ, जिस वजह से उन्हें 20 रिक्शे बेचने पड़े. बेटे को दिल्ली भेजने के लिए उनके पिता ने 14 रिक्शे और बेच दिए, जिसके बाद एक रिक्शा बचा जिसे वह खुद चलाने लगे. जब 2006 में गोविंद के पिता को टिटनेस हो गया तो उन्होंने अपने बेटे को नहीं बताया. ऐसे में उनकी बेटियां अपने पिता का ध्यान रखने के लिए बारी-बारी उनके साथ रहती थीं गोविंद ने कड़े परिश्रम के बाद अपना सपना पूरा किया.

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*