बचपन से थे पढ़ाई में कमजोर, लेकिन अपनी मंजिल हासिल करने के लिए की कड़ी मेहनत और बन गया SDM

जरूरी नहीं हर बच्चा बचपन से पढ़ाई में होशियार हो. कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि जो बच्चे बचपन में पढ़ाई में कमजोर रहे हैं, वह बड़े होकर कुछ ऐसा कर देते हैं, जो दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है. ऐसी ही कहानी है राजेश कुमार वर्मा की, जो आज एसडीएम हैं. उत्तर प्रदेश पीसीएस परीक्षा- 2020 में उन्होंने 23वीं रैंक हासिल की थी. राजेश बचपन में पढ़ाई में बेहद कमजोर थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

राजेश ने खूब मेहनत की और अपनी मंजिल को हासिल किया, राजेश ने 2018 में भी पीसीएस परीक्षा दी थी और वह इंटरव्यू राउंड तक पहुंचे थे. लेकिन फाइनल सिलेक्शन लिस्ट में उनका नाम नहीं था. इस वजह से वह थोड़े निराश हो गए थे और उन्होंने जब 2019 में फिर से परीक्षा दी तो वह मेंस से ही बाहर हो गए.

दो बार असफलता मिलने से कोई भी घबरा जाएगा और शायद तीसरी बार प्रयास ना करें. लेकिन राजेश ने हिम्मत नहीं हारी और 2020 में फिर से परीक्षा देने का निर्णय किया. इस बार उन्होंने कड़ी मेहनत की और खूब तैयारी की. आखिरकार 2020 में पीसीएस परीक्षा में उन्हें सफलता मिल ही गई. लेकिन आपको बता दें कि राजेश हिंदी मीडियम से पढ़े हुए थे, जिस वजह से उन्हें इस परीक्षा को पास करने में थोड़ी दिक्कत आई. उन्हें ज्यादा मेहनत करनी पड़ी.

राजेश यही मानते हैं कि अगर कोई उम्मीदवार बचपन में पढ़ाई में सामान्य छात्र रहा है तो वह भी इन परीक्षाओं को पास कर सकता है. बस लगन होनी चाहिए और कड़ी मेहनत करनी चाहिए. राजेश कहते हैं कि अगर सही स्ट्रेटजी के साथ तैयारी की जाए तो आपको सफलता जरूर मिलेगी. किसी भी परीक्षा के लिए शेड्यूल बना कर ही पढ़ाई करनी चाहिए.

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