कई बार लोग अपनी गरीबी की वजह से अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते हैं और हार मान लेते हैं. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए अपनी मंजिल पाकर ही रहते हैं. ऐसी ही कहानी है पीलीभीत के हरायपुर गांव के रहने वाले नुरूल हसन की जो महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं. नुरूल के लिए इस मुकाम तक पहुंचना बिल्कुल भी आसान नहीं था. उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा, तब वह इस मंजिल तक पहुंचे हैं.
नुरूल के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी. उन्हें दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी. ऐसे में पढ़ाई करना उनके लिए और भी ज्यादा मुश्किल था. जब नुरूल ने मैट्रिक परीक्षा पास करी तो उनके पिता की नौकरी क्लास 4 कर्मचारी के पद पर लग गई. तब उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए एक मलिन बस्ती में किराए पर घर ले लिया, जहां रहकर नुरूल ने 12वीं की पढ़ाई पूरी की.
अपने बेटे को पढ़ाने के लिए नुरूल के पिता ने एक गांव की जमीन बेच दी उन्होंने अपने बेटे को बीटेक कराया और ₹70,000 में एक कमरे का घर खरीदा. हालांकि उनकी शुरुआती पढ़ाई हिंदी में हुई थी, जिस वजह से उन्हें अंग्रेजी में थोड़ी परेशानी आई. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.
नुरूल बीटेक करने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी पहुंचे, जहां पढ़ाई के दौरान उन्होंने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी. उनकी गुरुग्राम में नौकरी लग गई. बाद में उन्होंने BARC में वैज्ञानिक के रूप में काम किया. लेकिन वह यूपीएससी की तैयारी करते रहे. 2015 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में सफलता हासिल कर ली और वह आईपीएस अधिकारी बन गए.
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