बड़े-बड़े सपने हर कोई देखता है, लेकिन इन सपनों को पूरा करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है. सपनों को पूरा करने में गरीबी आड़े आ जाती है. ऐसी ही कहानी है राजेश पाटिल की, जो महाराष्ट्र के जलगांव जिले से ताल्लुक रखते हैं. उनका जन्म एक बेहद गरीब परिवार में हुआ. उनके परिवार पर काफी कर्ज था. बचपन से ही राजेश के ऊपर काफी जिम्मेदारियां थीं. उनकी तीन बहने भी थी.
उनकी मां के पास 3 एकड़ खेती की जमीन थी. एक कुएं की मदद से 3 एकड़ की जमीन की खेती होती. वह बारिश के पानी पर निर्भर रहते थे. इससे ज्यादा कमाई भी नहीं होती थी. राजेश स्कूल छोड़कर दूसरों के खेतों में काम करते थे. बचपन से ही पढ़ाई में तेज थे.
हालांकि उन्हें बचपन से ही यह एहसास हो गया था कि अगर उन्हें गरीबी से निजात पानी है तो पढ़ना बहुत जरूरी है. वह काम करके थक जाते थे. फिर भी अपनी पढ़ाई करते थे. उनकी मां ने भी उनका पूरा सहयोग किया. राजेश की मां ने तो एक बार उनकी पढ़ाई के लिए घर तक गिरवी रख दिया था.
राजेश की पढ़ाई मराठी स्कूल से हुई थी. ऐसे में उनको अंग्रेजी को लेकर काफी समस्याएं हुई. हालांकि उन्होंने इस मुश्किल को भी पार कर दिया. 2005 में वह यूपीएससी परीक्षा में पास हो गए और ओडिशा कैडर से आईएएस बन गए. वह इस समय महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवड नगर निगम के कमिश्नर है. उन्होंने हाल ही में एक किताब भी लॉन्च की, जिसका टाइटल है- Tai mi Collectory vhayanu.
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