UPSC परीक्षा में हिंदी मीडियम के बच्चे आते हैं तो उन्हें कमतर आंका जाता है. उनका मजाक भी उड़ाया जाता है. लेकिन जिनके अंदर कुछ कर दिखाने की चाहत होती है, वह चाहे हिंदी मीडियम से हो या इंग्लिश मीडियम से, अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेते हैं. यूपीएससी परीक्षा तो कई हिंदी मीडियम से पढ़ें परीक्षार्थियों ने भी पास किया है और वह बड़े अधिकारी बने हैं.
ऐसी ही कहानी है मधुबनी जिले के लखनौर गांव के आदित्य कुमार झा की, जिनको लोग संस्कृत पढ़ने की वजह से गंवार कहते थे और ताने मारते थे. लेकिन यूपीएससी परीक्षा पास कर वह बड़े अधिकारी बन गए. आदित्य के पिता भी संस्कृत के प्रोफेसर हैं.
आदित्य के परिवार के सभी सदस्य संस्कृत के विद्वान हैं. आदित्य जब छठवीं कक्षा में थे, तभी उनके पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए उनके बड़े भाई के पास इलाहाबाद भेज दिया, जो यूपीएससी की तैयारी में जुटे हुए थे. अपने भाई को देखकर ही आदित्य के मन में भी सिविल सेवा में जाने का जज्बा जगा.
आदित्य ने 2018 में यूपीएससी परीक्षा दी, जिसमें उन्होंने 339वीं रैंक हासिल की. हालांकि इससे पहले जब आदित्य ने 2015 और 2016 में यूपीएससी परीक्षा दी थी, तो वह सफल नहीं हो पाए थे. हालांकि आदित्य ने 2017 में यूपीएससी परीक्षा में 431वीं रैंक हासिल की थी जिसके बाद उनका चयन DANICS सर्विसेज के लिए हुआ. लेकिन अगले साल परीक्षा में उन्होंने 339वीं रैंक हासिल कर ली.
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