जो युवा सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए सतीश वी मेनन प्रेरणा स्रोत है. सतीश ने इस कहावत को सच कर दिखाया कि जहां चाह वहां राह. सतीश ने 26 साल की उम्र में यूपीएससी परीक्षा में 432वीं रैंक हासिल की. उन्होंने तीसरे प्रयास में ही परीक्षा पास कर ली, वह भी बिना किसी कोचिंग या इंटरनेट कनेक्टिविटी के.
सतीश के पिता दिहाड़ी मजदूर थे और उनकी मां गृहिणी थीं. सतीश के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी, जिस वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए बच्चों को ट्यूशन भी देना पड़ता था. अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने यह सफलता हासिल की है.
बारहवीं कक्षा के बाद सतीश इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे. लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वो ऐसा नहीं कर पाए. उन्होंने भौतिकी में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट किया. 2015 में उन्होंने एक इंटरव्यू दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी उनके लिए बड़ी समस्या थी. इसी वजह से उन्हें काफी मुश्किल हुई.
अंग्रेजी दैनिक या पत्रिकाओं की आपूर्ति भी नहीं हो पाती थी, जिस वजह से उन्हें अपनी तैयारी के लिए पुस्तकें जुटाने के लिए सप्ताह में एक बार एर्नाकुलम के पब्लिक लाइब्रेरी में जाना पड़ता था. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी. वह लगातार संघर्ष करते रहे और अपनी मंजिल को हासिल किया.
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