आज हम आपको यूपीएससी परीक्षा 2018 में छठवीं रैंक हासिल करने वाले जयपुर के शुभम गुप्ता की कहानी बता रहे हैं जो एक समय जूते की दुकान पर काम करते थे. लेकिन अपनी मेहनत से वह आईएएस अधिकारी बन गए. शुभम गुप्ता के पिता जूते की दुकान चलाते थे, जिस पर वह भी बैठते थे. काम की वजह से उनके पिता को महाराष्ट्र में घर लेना पड़ा, जहां बाद में वह अपने परिवार के साथ महाराष्ट्र में आकर बस गए.
महाराष्ट्र में किसी भी विद्यालय में पढ़ने के लिए मराठी आना जरूरी है. लेकिन शुभम को मराठी भाषा का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था. इसी वजह से शुभम और उनकी बहन को 80 किलोमीटर दूर स्थित स्कूल में एडमिशन लेना पड़ा, ताकि वह उन्हें हिंदी में शिक्षा मिल सके. शुभम सुबह 5 बजे उठकर स्कूल जाते थे और दोपहर 3 बजे घर वापस आते थे. उसके बाद वह अपने पिताजी के साथ जूते की दुकान पर बैठते थे.
शुभम के पिता ने बाद में एक और दुकान खोल ली जो पहली दुकान से काफी दूरी पर थी. ऐसे में दोनों दुकानों को एक साथ संभालना बहुत मुश्किल था. इसी वजह से शुभम को स्कूल आने के बाद दूसरी दुकान संभालनी पड़ती थी. शुभम की स्कूली शिक्षा इसी तरह से पूरी हुई. उन्हें दिन में पढ़ाई के लिए समय नहीं मिलता था तो वह रात में पढ़ते थे. 12वीं में उन्होंने अच्छे नंबर हासिल किए. उन्होंने अर्थशास्त्र से स्नातक की डिग्री हासिल की और इकोनामी से मास्टर्स किया.
उन्होंने यूपीएससी की तैयारी ग्रेजुएशन से ही शुरू कर दी थी. 2015 में यूपीएससी की परीक्षा में वह असफल हो गए. लेकिन उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी. अगली बार वह 366वीं रैंक लाने में सफल हुए. लेकिन उनका चयन इंडियन ऑडिट और एकाउंट सर्विस के लिए हुआ जिसमें उनकी रूचि नहीं थी. 2017 में उन्होंने फिर से यूपीएससी परीक्षा दी और वह असफल हुए. लेकिन 2018 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास कर ली और अपने सपने को पूरा किया.
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