
अगर आपके इरादे मजबूत हो और आपके अंदर कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई फर्क नहीं पड़ता, आप कहां से आते हैं, आपकी परिस्थिति कैसी है. 2018 की यूपीएससी परीक्षा में 304वीं रैंक हासिल करने वाले हिमांशु गुप्ता की कहानी ऐसी ही रही है. हिमांशु बरेली के सिरौली कस्बे के रहने वाले हैं. उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे. बाद में उन्होंने चाय का ठेला लगाना शुरू कर दिया.
हिमांशु भी स्कूल के बाद अपने पिता की मदद करने ठेले पर पहुंच जाते थे. उनका बचपन काफी मुश्किलों से भरा रहा. उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा. उनका स्कूल घर से 35 किलोमीटर दूर था, जिस वजह से वह हर रोज लगभग 70 किलोमीटर का सफर तय करते थे. हिमांशु जब पिता के साथ चाय के ठेले पर हाथ बंटाते थे तो उन्हें कुछ ऐसे लोग भी मिलते थे, जो पैसे गिनना भी नहीं जानते थे.
तब उन्होंने निर्णय किया कि वह पढ़ेंगे और कुछ बनकर दिखाएंगे. 12वीं की पढ़ाई खत्म होने के बाद हिमांशु ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध हिंदू कॉलेज में एडमिशन लिया. लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से उन्हें यहां भी बहुत सारी समस्याएं हुईं. उन्हें फीस भरने के लिए बच्चों को ट्यूशन देना पड़ता था. हिमांशु ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी होने के बाद एमए, एमबीए और एमएससी के लिए प्रवेश परीक्षाएं दी और गेट की परीक्षा में भी उन्हें सफलता मिली.
पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने यूजीसी नेट की परीक्षा पास की. हिमांशु को विदेश में नौकरी के ऑफर मिले. लेकिन वह देश के लिए कुछ करना चाहते थे. तभी उन्होंने यूपीएससी परीक्षा देने का निर्णय किया. पहले प्रयास में तो वह प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए थे. लेकिन 2018 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में 304वीं रैंक हासिल की और वह आईआरएस अधिकारी बन गए. इस तरह उनका बचपन का सपना पूरा हुआ.
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